जमीन की रजिस्ट्री का खर्च कैसे निकालें? सीखें पूरा तरीका! Land Registry Expenses Calculation

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अगर आपने भी नई जमीन की खरीदारी की है या पुरानी जमीन की रजिस्ट्री अपने नाम करवाने जा रहे हैं तो इसके लिए आपको यह सुनिश्चित करना अति आवश्यक है कि आपके लिए जमीन की रजिस्ट्री करवाने पर कितना खर्च लग सकता है तथा यह खर्च किन कारकों पर आकलित किया जाता है।

जमीन की रजिस्ट्री की प्रक्रिया एक सरकारी महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो जमीन के प्रमुख स्वामित्व को आधिकारिक रूप से दर्ज करती है। इस कानूनी प्रक्रिया के लिए सरकार के द्वारा विशेष कारकों के आधार पर खर्च तय किया गया है लेकिन कई लोगों के लिए पर्याप्त जानकारी न होने के कारण जमीनी रजिस्ट्री का खर्च निकालना काफी कठिन काम हो चुका है।

इस आर्टिकल के माध्यम से हम जमीन की रजिस्ट्री में होने वाले खर्च के कार्यों के बारे में संक्षिप्त रूप से चर्चा करने वाले हैं जिसके तहत आपको लगने वाले खर्च का आकलन करने में काफी आसानी होगी तथा आप इसकी विशेष जानकारी से भी परिचित हो पाएंगे।

Land Registry Expenses Calculation

जमीन की रजिस्ट्री करवाने के साथ जमीन के स्वामी के लिए इसमें लगने वाले खर्च का कैलकुलेशन करना बहुत ही जरूरी है। अगर वह सभी कारकों के आधार पर लगने वाले खर्च की जानकारी प्राप्त कर लेता है तो उसके लिए रजिस्ट्री करवाने में काफी आसानी होगी ।

जमीन की रजिस्ट्री का कार्य रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 के तहत किया जाता है जिसके तहत जिस व्यक्ति के नाम पर रजिस्ट्री होती है वह जमीन का मुखिया बन जाता है। बताते चलें की जमीन की रजिस्ट्री का खर्च सभी राज्यों के लिए अलग-अलग कुछ ऊपर नीचे हो सकता है जिसकी जानकारी आपको पर्याप्त रूप से सरकारी कार्यालय से ही मिल पाएगी।

जमीन की रजिस्ट्री के महत्व

सरकारी तौर पर जमीन की रजिस्ट्री के महत्व निम्न प्रकार से है :-

  • जमीन की रजिस्ट्री हो जाने पर कानूनी रूप से स्वामित्व की पुष्टि हो पाती है।
  • अगर आप अपनी जमीन पर किसी प्रकार का बैंक लोन लेते हैं तो भी इसकी रजिस्ट्री होनी जरूरी है।
  • जमीन की रजिस्ट्री हो जाने पर यह सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज हो पाती है।
  • अगर जमीन की रजिस्ट्री होती है तो जमीन की खरीदी एवं बिक्री में भी बहुत आसानी होती है।
  • रजिस्ट्री हो जाने पर भविष्य में किसी प्रकार का जमीनी विवाद भी नहीं हो पाता है।

जमीन की रजिस्ट्री पर महिलाओं के लिए छूट

सरकार के द्वारा जमीन की रजिस्ट्री अगर महिला के नाम पर होती है तो उनके लिए पुरुषों की तुलना में छूट का प्रावधान भी किया गया है अर्थात जमीन की रजिस्ट्री पर महिला के लिए कम लागत का भुगतान करना पड़ेगा। सरकार ने जमीन की रजिस्ट्री पर महिलाओं के लिए जो छूट का नियम लागू किया है वह महिलाओं के लिए काफी सुविधाजनक है।

जमीन की रजिस्ट्री में होने वाले खर्च के कारक

  • जमीन की रजिस्ट्री में स्टांप ड्यूटी का खर्च सबसे अधिक होता है जो की जमीन की कीमत का एक निश्चित प्रतिशत होता है।
  • रजिस्ट्री पर नामांकन शुल्क भी लगता है जो जमीन की कीमत पर मात्र एक प्रतिशत लागू होता है।
  • व्यक्ति के लिए रजिस्ट्री करवाने पर सर्च फीस भी देनी होती है जो जमीन के पिछले रिकार्ड को सर्च करने के लिए ली जाती है।
  • अगर आप रजिस्ट्री में वकील की सहायता लेते हैं तो इसमें वकील की फीस का शुल्क भी जुड़ जाता है।
  • जमीन की रजिस्ट्री करने खर्चा आपकी जमीन के स्थान तथा रकवे के आधार पर निर्धारित होता है।

जमीन की रजिस्ट्री के लिए आवश्यक दस्तावेज

अगर आप जमीन की रजिस्ट्री करवाते हैं तो निम्न दस्तावेजों की आवश्यकता अनिवार्य रूप से पड़ेगी :-

  • बिक्री समझौता
  • आधार कार्ड
  • पैन कार्ड
  • बैंक संबंधी दस्तावेज
  • पासपोर्ट साइज फोटो इत्यादि।

जमीन की रजिस्ट्री प्रक्रिया के चरण

सरकारी नियमों के आधार पर जमीन की रजिस्ट्री निम्न प्रक्रिया के आधार पर पूरी होती है :-

  • जमीन की रजिस्ट्री के लिए सबसे पहले मुख्य दस्तावेजों को तैयार करना आवश्यक होता है।
  • इसके बाद स्टांप ड्यूटी का भुगतान करना जरूरी होता है।
  • अब उम्मीदवार के लिए स्केटर्स कार्यालय में जाना होगा और प्रमाण पत्र का सत्यापन करना होगा।
  • इसके बाद दोनों रजिस्ट्रीकृत के रजिस्ट्री डिट पर हस्ताक्षर करवाए जाएंगे।
  • यह प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद एक मुख्य नामांकन संख्या प्रदान की जाएगी।
  • इस प्रकार से जमीन की रजिस्ट्री का कार्य पूरा हो जाएगा।

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